समग्रता का क्षेत्र
समग्रता…जो जैसा है वो वैसा है। समग्रता संपूर्ण है, पूर्ण होने के लिए और यहां पूर्ण होने का अर्थ है वर्तमान में होना जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करना। वर्तमान यहीं है जहां-जिसमें हम उपस्थित हैं, जिस प्रत्येक क्षण को हम जी रहे हैं। अतीत वह है जो बीत चुका है और भविष्य सिर्फ कल्पना मात्र है।
जिसमे परिपूर्णता (परफेक्शन) एक लक्ष्य है। वहीं समग्रता आज और अभी का अनुभव है । कहीं एक लक्ष्य है जो अधूरा है क्योकि अभी वो पूरा नहीं हुआ है। जबकि समग्रता कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन को जीने का तरीका है।
समग्रता में विपरीत पूरक हैं। जैसे- जहां ज्ञान है-वहां मूर्खता है, जहां अच्छा है-वहां बुरा है, जहां मैदान है-वहां पहाड़ हैं और ऐसे ही इसके विपरीत अनेक परिस्थितियां।
मूल आधार के साथ एक हो जाना ही समग्रता है। समग्रता में सबके लिए स्थान है फिर वो कोई इक्षा रखने वाला हों या फिर वो जो ख़ारिज कर दिया गया हो । यह सभी के साथ समान व्यवहार करता है। इसकी शुरुआत होती है, ये समाप्ति की ओर भी अग्रसर होता है, लेकिन कभी उसकी मृत्यु नहीं होती है।
समग्रता महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि अद्वितीयता का समावेश है। ये शब्द मात्र नहीं ये स्वयं को जानने और अपने व्यक्तित्व को खोजने के यात्रा की प्रक्रिया है।
समग्रता में विलीन व्यक्ति अपने कार्य को पूर्ण करने में विश्वास करता है उस कार्य पर हक़ जताने में नहीं।
जब आपका शरीर, मन और दिल सब एक स्थान पर आपके साथ पूरी ईमानदारी से आपका काम कर रहे हों तो ये समग्रता का प्रतीक है। जिसमे प्रेम, करुणा और भक्ति का भाव है।

हमारे ग्रामीण भारत के घरों में, गलीचा घर को संपूर्ण बनाता है। यह सशक्त बनाता है उस समाज को जो जात-पात, लिंग और समुदाय के आधार पर अस्वीकृत है। यह स्थायी आय और एक रचनात्मक स्थान प्रदान करता है। शहर में, यह घर का अहसास दिलाता है। कारीगरों की भावनाओं और आशीर्वाद के रूप में यह दो हाथों को जोड़ता हुआ जयपुर रुग्स को एक उपचारात्मक संगठन बनता है ।
गलीचा से पहले, प्रकृति है, और जैसा कि गलीचा ख़त्म होता जाता है, यह एक बार फिर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है। यह अपनी जन्म से मृत्यु तक की यात्रा में, कुल मिलाकर निरंतर चलने वाली समग्रता की प्रक्रिया है। जिसमे बिना पक्षपात के यह प्रत्येक हाथ को सवारते हुए गुजरता है।
व्यवसाय संपूर्ण हो सकता है अगर उसमे प्यार, करुणा, और उपचार लुप्त है। यह संपूर्ण है जब कारीगर और ग्राहक एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, और प्रकृति की रचना को पूरा कर रहे हैं।
समग्रता के क्षेत्र में,पारिस्थितिकी तंत्र का व्यक्तीकरण है जो सर्व-सम्मिलित और अपूर्ण है। यह पूर्ण है लेकिन इसकी अनुकूलता जारी है, यह शुरू से अंत की और बढ़ता है, लेकिन इसका कोई अंत ही नहीं है। क्योंकि… ये जैसा है वैसा है।

विज़न
मैं हमेशा सामाजिक मुद्दों के लिए लाभ के समाधान का समर्थक रहा हूं। व्यवसाय समाजों को बदल सकता है। वे समझते हैं कि कैसे काम करना है, कैसे सही मायने में ग्राहकों की सेवा करनी है और इन सब के साथ कैसे लाभ कमाना है। जब हम प्यार से प्रेरित होते हैं, तब वास्तव में व्यक्तियों को बदल सकते हैं। तब न केवल सफलता मिलेगी बल्कि समाज भी आरोग्य होगा, बदलाव होगा।
”स्वयं को पाना, स्वयं को खोने के द्वारा जिसमे जितना अधिक हम खुद को खोते हैं, उतना ही हम खुद को पाते हैं।”
मेरे जीवन का उद्देश्य स्वयं की खोज और स्वयं का अन्वेषण है। स्वयं की खोज जीवन में एक निरंतर खोज है और एक ऐसे उद्देश्य के लिए आत्मसमर्पण करना है जो स्वयं से बड़ा है। हम इस प्रक्रिया के माध्यम से, सभी चिंताओं, भय और अहंकार को दूर करने में सफल हो सकते हैं। जो लोगों को आगे बढ़ने और वास्तविक अनुभव करने से रोकता है।
प्रेम एक ऐसा शब्द है जो मेरे विचारधारा को आत्मसात करता है। जब आप स्वयं की खोज और स्वयं के प्रेम के मार्ग पर होते हैं, तो यह खुद-ब खुद बाहर निकलने लगता है और दूसरों तक पहुँच जाता है। यह केवल प्रेम का माध्यम है जिसमे बुनकरों के साथ की मेरी यात्रा ने मुझे बहुत दूर तक पहुंचा दिया। यह वह निश्छल प्रेम है जिसने उन्हें विश्वास करने, सह-निर्माण करने और अब जो जयपुर रग्स है उसे बनाने का अधिकार दिया।
‘प्यार के आगे व्यापार है, यह सभ्यता का निर्माता और संरक्षक है’
प्रेम एक ऐसा शब्द है जो मेरे विचारधारा को आत्मसात करता है। जब आप स्वयं की खोज और स्वयं के प्रेम के मार्ग पर होते हैं, तो यह खुद-ब खुद बाहर निकलने लगता है और दूसरों तक पहुँच जाता है। यह केवल प्रेम का माध्यम है जिसमे बुनकरों के साथ की मेरी यात्रा ने मुझे बहुत दूर तक पहुंचा दिया। यह वह निश्छल प्रेम है जिसने उन्हें विश्वास करने, सह-निर्माण करने और अब जो जयपुर रग्स है उसे बनाने का अधिकार दिया।
यह मेरी समग्रता है। जिसमे मैं अपने आंतरिक कामकाज को खोजने में एहसास करता हूँ कि मैं और भी बड़ी तस्वीर का हिस्सा हूं। और जैसा कि मैंने प्यार करना सीखा है जो मुझे, मेरा बनाता है, वह प्यार दूसरों में वही भाव जागृत करने के लिए पहुंचता रहता है।
मेरा लक्ष्य है कारीगरों को स्वंय से जोड़ना जहाँ वो अपने रचनात्मक क्षमता का ध्यान रखते हुए आगे बढ़े । उन्हें अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने और गरिमा पूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। उनकी कला हमारे ग्राहक के घर में आशीर्वाद लाती है, जहां ग्राहक भी हमारी इस यात्रा में सीधे हमारे कारीगरों का साथ देते हैं। जैसा की प्रत्येक कारीगर पूर्ण होतें हैं, वे एक घर को पूर्ण करने में सहभागी बनते हैं और फिर वे एक सम्मिलित रूप से पूर्ण होते हैं।
मूल्य
समानुभूति (Empathy)
जब मैंने पहली बार गलीचों के साथ काम करना शुरू किया, तो मैं एक बुनकर बन गया। मैं मेरे परिवार और समाज ने अस्वीकृत कर दिया गया था और तब मैंने करघा (लूम) पर काम किया, बुनकरों के संघर्ष को अपने जीवन में उतार लिया। क्योंकि इस अनुभव को गले लगाकर, मैं उनके संघर्षों को साझा कर सकता था और अपनी ताकत का इस्तेमाल करके इसे एक साथी के रूप में बेहतर बनाने के तरीके खोज सकता था। मैं हमेशा ही पहले एक बुनकर हुं ,बाद में व्यापारी।
साझा ज्ञान
(Shared Wisdom)
मैंने एक बुनकर से बुनाई सीखी, एक ठेकेदार से गुणवत्ता की जांच करना सीखा, और एक ग्राहक से ग्राहक की जरूरतों को सीखा। हर कोई स्वाभाविक रूप से अपने स्वयं के अनुभवों का मालिक है। हमारे सवालों के जवाब किसी से भी आ सकते हैं, कोई भी हमारा शिक्षक हो सकता है। एक योग्य पेशेवर को गलीचा बुनाई की सभी तकनीकी जानकारी हो सकती है, लेकिन कारीगर के पास अनुभव होता है। दोनों के संगठन में अनुभव और ज्ञान का मिलाप काम को पूर्ण करता है।
विनम्रता (Humility)
विनम्रता यह महसूस करने में है कि किसी सम्पूर्ण के लिए सभी महत्वपूर्ण हैं। कारीगर या ग्राहक के बिना, जयपुर रग्स नहीं होगा। तो, यदि सभी महत्वपूर्ण हैं, तो कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है।
यह महत्व समानता में नहीं, बल्कि विशिष्टता में निहित है। हम महत्वपूर्ण हैं, और हम अद्वितीय हैं। जिसमे हम वास्तविक स्वयं के साथ इस पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम )का हिस्सा हैं।
सत्यनिष्ठा (Integrity)
सत्य निष्ठा का अर्थ है, हमारी वास्तविकता जो हम सच में हैं, जिसके जरिये हम अपने उद्देश्य को पा सकते हैं। हमारे बुनकरों के साथ काम करने में, मैंने सीखा कि सादगी अखंडता लाती है। हमारे कारीगर सरल लोग हैं वे पुरे ईमानदारी के साथ हैं अपने आप और अपने काम के प्रति।
सरलता (Simplicity)
जब हम स्वयं के हो जाते हैं, हम सरलता धारण कर चुके होते हैं। यह तब संभव है जब हमारी सादगी दूसरे की सादगी के साथ संगठित होकर एक साथ प्रदर्शित होती है और एक सुंदर कहानी की रचना करती है।