भारत में, हम देवियों की पूजा करते हैं। लक्ष्मी धन की देवी हैं और जो कोई भी व्यवसाय करता वह इनका आदर करने में कोई संदेह नहीं रखता।
यह भी कहा जाता है कि जब लड़की पैदा होती है या महिला शादी के बाद घर आती है तो वह लक्ष्मी का रूप होती है जिससे घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
हालांकि यह भावना शक्तिशाली है, लेकिन इसकी वास्तविकता बहुत अलग है जिसमे महिलाओं के साथ दैनिक आधार पर किये जाने वाले व्यवहार की दास्तां बहुत अलग है। मेरी तीन बेटियां हैं और इस वजह से मुझे नकारात्मक रूप से देखा गया है। जब भारत में एक बेटी का जन्म होता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि परिवार में एक लक्ष्मी का जन्म हुआ है, वहीं ऐसे कई अन्य लोग भी हैं जो बेटियों को अभिशाप के रूप में देखते हैं।
कुछ लोगों ने मुझे और मेरी पत्नी इसलिए ताना मारा क्योंकि मेरे परिवार में बेटियां पैदा हुई थी, लेकिन मैं बहुत खुश था।
मैंने देखा है और अभी भी अपनी बेटियों-बेटों में कोई अंतर नहीं करता। वास्तव में, महिलाएं मजबूत हैं और पुरुषों की तुलना लगभग हर पहलू में कहीं ज्यादा नम्य स्वभाव की हैं ।
मुझे अपने देश में लड़कों को दिए जाने वाले बेहतर सुविधाओं और तरजीही का ज्ञात है। हालांकि, हालात सुधर रहे हैं लेकिन फिर भी हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है उचित समानता हासिल करने से पहले । अपने पुराने शुरुआती दिनों में, मेरी एक ब्रिटिश फ़ोटोग्राफ़र से मुलाकात हुई, जो भारत में यात्रा कर रहा था। मैंने उनसे मुलाकात की और हम अच्छे दोस्त बन गए और जीवन। फिर बाद में हमने स्थानीय कारीगरों के बारे में कई लंबी और सार्थक चर्चाएं की ।
उनमे एक वार्तालाप वास्तव में कुछ गहरी बातें निकल कर आयीं । मैंने अपने दोस्त से पूछा कि महिलाओं को इतनी नकारात्मक रूप से क्यों देखा जाता है और ये बताते हुए होनी तीन बेटियों के साथ के अनुभव को याद किया ।तब उन्होंने मुझे बताया और समझाया कि मैं दुनिया का सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं क्योंकि मेरे पास तीन बेटियां हैं। क्योकि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा कुशल और ग्रहणशील हैं।
जब मेरी बेटियों को शिक्षित करने की बात आयी तो मैंने सामाजिक नकारात्मकता को खुद पर हावी नहीं होने दिया। उन्हें उनके भाइयों के समान ही शिक्षा प्राप्त करने को मिला। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि आज के समय में यह मेरी बेटियों का ही योगदान है जिसने हमारी कंपनी को वैश्विक सफलता दिलाई है।
यह सर्वविदित है कि लड़कियां लड़कों की तुलना में ज्यादा और जल्दी से परिपक्व होती हैं, लेकिन समाज में बहुत से लोग इस बात को स्वीकार करने में विफल रहते हैं और इस तथ्य को भी अनदेखा करते हैं कि यदि अवसर दिया जाए तो महिलाएं हमे आश्यर्च कित करने वाले काम कर सकती हैं।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ महिलाओं की पूर्ण क्षमता को मान्यता नहीं मिलती है। जो यह एक शर्म की बात है और जो हमारे समाज का एक बड़ा नुकसान भी है।
द इकोनॉमिस्ट के एक लेख के अनुसार,ऐसा अनुमान है कि यदि अधिक से अधिक महिलाएं काम-काज में योगदान करने में सक्षम हों, तो देश 27% अमीर हो सकता हैं। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है और मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मैं इस बात का समर्थन करता हूं। हमारे संगठन में, बड़ी संख्या में महिलाएं कारीगर के रूप में काम करती हैं। महिलाओं की प्राकृतिक प्रतिभा का समर्थन और पोषण करने में हम विश्वास करते हैं।
स्थानीय स्तर पर हमारे कुछ सर्वश्रेष्ठ नेता महिलाएं हैं। जो ग्रामीण परिवेश में पूरा घर की संभालती हैं । यह वास्तव में एक सच्चे नेतृत्व का उदाहरण है क्योंकि ये बच्चों की परवरिश के साथ साथ, घर का काम करती हैं और आय का प्रबंधन भी करती हैं। महिलाएं प्राकृतिक रूप से ही होने वाली एक अच्छी नेता हैं और जो हमारे संगठन को भी पूरी तरह से एक नए स्तरों पर ले जाती हैं।
हमारा एक छोटा सा संगठन हैं लेकिन हमने महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं क्योंकि हम मौका मिलने पर उनके द्वारा किए गए अद्भुत योगदान को पहचानते हैं। कल्पना करें भारत और दुनिया में सभी की प्रगति के बारे में, अगर आबादी के अन्य आधे लोगों को सभी के समान अवसर दिए जाएँ तो वो लोग क्या कुछ कर सकते हैं।
1 Comment
Dear Mr Chaudhary,
Good Afternoon.
The treatment of girl child is very different in the North of India and is steepinto hypocrisy. In Orissa , the birth of a girl child is celebrated in par with sons. Second all girls get a special ranking in admission. We have a women quota irrespective SC/ST . Orissa is the first state that has had a woman CM, a woman governor and a woman VC.. Mr Sajjan Jindal says that Orissa is the only state that is a promise for the future. The only handicap there is the unavailability of Jobs