मनुष्य होने के रूप में हमारे पास सबसे महत्वपूर्ण क्षमताओं में से एक संचार/ वार्तालाप की कला। हम इसके बिना नहीं रह सकते। हमारे जीवन के हर पहलू में संचार शामिल है। यहां तक कि अगर हम कहीं विदेश में यात्रा कर रहे होते हैं, जहां हम भाषा नहीं जानते हैं, तो भी हम किसी भी तरह से प्रबंधन कर ही लेते हैं। बिना किसी से बात किए अपने विचारों को सामने वाले तक किसी भी अन्य संचार के माध्यम से पहुंचा ही देते हैं। और कुछ ऐसी है संचार की शक्ति।
हम बिना संचार के नहीं रह सकते हैं और इस बात को वर्तमान के अनिश्चित समय ने निश्चित रूप से साबित कर दिया है। लेकिन अगर हम बुनियादी वार्तालाप के बारे सोचें, तो हमारा दैनिक वार्तालाप अक्सर दिखावा मात्र रह जाता है।
हम सभी एक दूसरे बड़ी विनम्रता से लगभग रोज ही शुभकामनाएं देते हैं, हाल-चाल पूछते हैं जैसे-आप कैसे हैं ? लेकिन जब यह पूछते हैं तो वास्तव में हम कितनी बार इसका मतलब समझते हैं?
जब आप एक ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो आपके बारे में इस तरह से पूछता है कि आप वास्तव में आपको उसमे देखभाल और चिंता को समझ आती है, तो यह आप दोनों के समक्ष एक स्थायी प्रभाव बनाता है। और इसी संदर्भ में मैं मानता हूं कि मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसे दूसरों के साथ बातचीत करना और उनकी कहानियां सुनना बहुत पसंद है। कोई भी संस्थापक जो अपने कर्मचारी से दूरी बना कर रहता है, वह अपना नुकसान कर रहा है और एक असंतुष्ट कर्मचारियों को भी धोखा दे रहा है जो अंततः ग्राहक तक पहुंच रहा है और जिसका प्रभाव उसके प्रामाणिक अनुभवों पर भी पद रहा है।
अब, मानव कनेक्शन को पुनर्जीवित करने का समय है!
भले ही लोग इंटरनेट के माध्यम से एक दूसरे से बड़ी ही आसानी से जुड़ रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ लेकिन वास्तविकता में, गहरे मानव-से-मानव के सम्बन्ध कहीं धीरे-धीरे मुरझा रहे हैं। और इन्हीं कारणों के चलते समानुभूति की भावना में गिरावट सी आरही है और क्या इससे हम एक दूसरे से कैसे संबंध रखते हैं ये समझ पा रहे हैं ? हाल-फ़िलहाल में चल रहे COVID-19 महामारी का एक दुष्परिणाम यह है कि हम एक-दूसरे बहुत दूर हैं, लेकिन फिर भी हम एक-दूसरे से संपर्क करने में के लिए समय निकाल रहे हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे परिवार और दोस्त सब ठीक हैं। लेकिन एक वैश्विक घटना कि महामारी को क्यों यह स्थान लेना पड़ रहा है हमें यह एहसास दिलाने के लिए कि मानव अंतःक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है?
हम अपने संगठन में दिल से दिल का सम्बन्ध बनाने की बात करते हैं। जिसके लिए निम्न प्रक्रिया करते हैं :
सेंसिंग जर्नी
बुनकर हमारे समूह के मूल आधार हैं। कंपनी को समग्र रूप से समझने के लिए, जो कोई भी जयपुर रग्स मुख्यालय में काम करता है, उस गांव में बुनकरों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलता है।
इस सेंसिंग जर्नी के माध्यम से, मुख्यालय के कर्मचारी और कारीगर एक प्रभावशाली तरीके से आपसी बातचीत करते हैं और गहरा जुड़ाव बनाते हैं। जो उन्हें बुनकरों से जोड़ते हैं ताकि उनके अंदर समानुभूति की भावना अग्रसित हो।
मनचाहा प्रोजेक्ट/परियोजना
हमारी सबसे सफल पहल में से एक,मनचाहा प्रोजेक्ट/परियोजना है जिस पर मुझे बेहद गर्व है। यह मनचाही परियोजना बुनकरों को कारीगर से डिज़ाइनर बनने का रूप देश है। जिसमें बुनकरों ने पेशेवर रूप से निर्मित डिज़ाइन पर निर्भर रहने के बजाय अपने गलीचों के खुद के डिज़ाइन बनाये हैं ।
हम लोगों को उनके पेशे के आधार पर समझने की कोशिश करते हैं: एक बैंकर सिर्फ एक बैंकर है, एक किसान सिर्फ एक किसान है, या एक जुलाहा सिर्फ एक जुलाहा है। लेकिन हर कोई अपने पेशे में हमारी सोच से कहीं अधिक और प्रभावशाली है।
हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम अपने कारीगरों की रचनात्मक क्षमता की ओर सुधार करने के लिए काम करें। भले ही वे औपचारिक रूप से प्रशिक्षित डिज़ाइनर न हों फिर भी हम उनके आश्चर्यचकित करने वाले प्रतिभा की सराहना करें । मनचाही परियोजना एक आश्चर्यजनक सफलता रही है क्योंकि इसमें कारीगरों को अपनी स्वाभाविक प्रतिभा का उपयोग करने की स्वतंत्रता मिली है। उनके द्वारा बनाए गए गलीचों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई है।
वीवर इंगेजमेंट कार्यक्रम
हमारा एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम है वीवर इंगेजमेंट प्रोग्राम । अमूमन कारीगर अपने गांव में गलीचा बनाते हैं और इसलिए शायद ही कभी उन्हें मुख्य कार्यालय का दौरा करने का मौका मिलता है। मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से कई बुनकरों को यह भी पता नहीं था कि वह जिस उत्पादों पर उन्होंने इतनी लगन से काम किया था अंतिम में कैसा होता होगा, जब तक की हमने यह कार्यक्रम शुरू नहीं किया था।
यही कारण है कि बुनकर जयपुर आते हैं और पूरी गलीचा बनाने की प्रक्रिया को देखते समझते हैं। इसमें कारीगर अपने लिए देखते हैं कि अंतिम परिणाम में उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण है। मैं प्रत्येक बुनकर से मिलना और जुड़ना सुनिश्चित करता हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि वे पूरे संगठन की सफलता में उनकी अभिन्न भूमिका को समझें।
सीईओ का सिर्फ अपने कार्यालय में बैठना अच्छा नहीं है। यह उन कर्मचारियों से दूरी बनाता है जिसका समग्र संगठन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नेताओं को नेतृत्व करना चाहिए और इसका एकमात्र तरीका जो हैं वह संगठन के प्रत्येक व्यक्ति के साथ दिल से दिल का संबंध बनाकर काम करना है।
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Great work