लगभग 40 साल पहले की बात है, जब मैं भारत के कालीन उद्योग में बदलाव की शुरुवात करने के लिए बुनकरों के एक छोटे समूह के साथ जुड़ा। मेरा अंतिम लक्ष्य अपने प्राचीन शिल्प को संरक्षित करते हुए ग्रामीण कारीगरों के जीवन में सुधार करना था। मैं जनता था उस समय जिस तरह से व्यापार किया जा रहा था उसके लिए ऐसा करना जरूरी है।
ये कोई आसान काम नहीं था और मैं एक युवा था जिसके अंदर बहुत भोलापन था।
लेकिन मेरा मानना था कि इतने लंबे समय से जिस तरह से व्यापार किया जा रहा था उसे बदलना कोई मुश्किल काम भी नहीं था। जाहिर है, मैं गलत था लेकिन मुझे उस जुनून पर पछतावा भी नहीं है जिसके साथ मैंने अपनी परियोजना की शुरुआत शुरू की थी।
जब हम युवा होते हैं, तो हम वास्तविक चीजों को अपनी संभावनाओं से दूर/विवेकशून्य नहीं होने देते हैं। हम विस्तृत तरीके से और कुशाग्रता के साथ सोचते हैं।
एक वृद्ध, अधिक अनुभवी व्यक्ति मूर्ख के रूप में सोच सकता है, लेकिन एक युवा व्यक्ति खुले तौर पर विचारों को गले लगता है।
हर विचार काम करे ये संभव नहीं है लेकिन अगर हम किसी विचार को बिना समझे खारिज कर दें जो पारंपरिक सोच से अलग, अजीब या असंभव हो तो हम कहाँ होंगे ?
यदि हम सभी चीजों को नियंत्रित और मानकीय दृष्टिकोण के साथ प्राप्त करते हैं, तो दुनिया में कोई प्रगति नहीं होगी।
चीजें सड़क पर कम से कम छक्कों के साथ आसानी से चल सकती हैं लेकिन अंत में, हमें बहुत से बलिदान करने होते हैं बड़े साहसिक खोज के लिए जो दुनिया को बदले।
“वे नेता जो एक खुले दिमाग और कुशाग्रता के साथ सोचते हैं, जो अतृप्त जिज्ञासा से प्रेरित हैं, और जो कौन सही है से ज्यादा क्या सही है उसमे अधिक रुचि रखते हैं, उन नेताओं की तुलना में बेहतर नेता होते हैं जो एक कमरे में बैठ कर सबसे समझदार व्यक्ति होने का अनुभव महसूस कर लेते हैं।”
फोर्ब्स पत्रिका में नेतृत्व के सलाहकार माइक मायट लिखते हैं। “अगर आप खुद को कहते हैं कि आप सबसे चतुर व्यक्ति हैं अपने स्थान पर तो आपने गलत टीम का निर्माण किया है।”
जब हम अपनी कंपनी में कर्मचारियों को काम पर रखते हैं, तो उनमें सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है उम्मीदवार की जिज्ञासा। जैसे उसका सवाल पूछना – चाहें वो कितना छोटा हो यह बातें एक प्रकार की विनम्रता और सीखने की इच्छा का प्रदर्शन करता है।
बहुत बार, नेता और कर्मचारी से दुनिया के सामने खुद की एक झूठी छवि पेश करते हैं। वे असुरक्षित महसूस करते हैं और इसलिए यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों को ऐसा लगे कि वे सबसे बुद्धिमान हैं। लेकिन सिर्फ इसलिए कि किसी के पास औपचारिक शिक्षा है इसका ये मतलब नहीं है कि वे बुद्धिमान हैं।
सबसे बुद्धिमान लोग वे हैं जो खुद को कहते हैं कि वे कुछ नहीं जानते हैं। प्रश्न पूछते हैं, जिज्ञासु रहते हैं और विभिन्न चीजों के बारे में सीखना चाहते हैं, जो दर्शाता है कि एक व्यक्ति में परिवर्तन को गले लगाने की कितनी क्षमता है।
जब आप परिवर्तन को गले लगा लेते हैं, तो संभावनाएं अनंत हो जाती हैं। इस प्रकार के लोगों के पास दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया होता है जो किसी वास्तविकता का रूप है। ये लोग जोखिम लेने और प्रक्रिया में खुद को मूर्ख बनाने के लिए तैयार हैं। वे अपने भोलेपन को किसी के सामने आने से डरते नहीं हैं ।
जबकि मैं कई वर्षों से व्यापार की दुनिया में हूं, फिर भी मैं खुद को भोला मानता हूं। मुझे इस तथ्य पर गर्व है क्योंकि यह दर्शाता है कि मुझमे सीखने की इच्छा है। मैं उस व्यक्ति का प्रकार नहीं बनना चाहता जो सोचता है कि वह सब कुछ जानता है, जिसे सब कुछ आता है। वास्तव में, समय के साथ साथ, मुझे यह ज्ञात होता है कि मुझे क्या पता है।
मेरी सरलता मुझे नए नजरिये से देखने और पुरानी समस्याओं के नए समाधान खोजने में मदद करती है। जब नेता या मालिक यह सब जानने के लिए दिखावा करने के बजाय अपनी सरलता को गले लगाते हैं, तभी वे वास्तव में सफल व्यक्ति हो पाते हैं।