मुझे लगता है कि व्यवसायों को समुदाय से संचालित होना चाहिए तभी यह प्रयास सार्थक होगा। बहुतायत मानसिकता वाले नेता समाज के विकास में महत्वपूर्ण अवसर बना सकते हैं।
आज के दौर में लोग ऐसे ही कोई भी उत्पाद नहीं खरीदते हैं। वे हर उस चीज कि छानबीन करते हैं जो उत्पाद में उपस्थित होता है और फिर उसे खरीदने का फैसला करते हैं। एक उत्पाद खरीदकर वे न केवल इसे खरीद रहे होते हैं बल्कि एक अनुभव को जी रहे होते हैं। उत्पाद को उस उद्देश्य की सेवा करने में मदद करते हैं, जिसका प्रभाव लम्बे समय तक चलता है।
जब मैं छोटा था तब से ही मैं अपना खुद का कुछ मुकाम बनाना चाहता था जिसमे मेरा उद्देश्य था जरूरतमंद लोगों साथ देना। मेरे लिए व्यवसाय वह पुल है जो अमीर और गरीब के बीच के अंतराल को खत्म करता है। मेरा मानना है कि सफलता प्रचुरता से आती है न कि बिखराव से। जिसका अर्थ है सबसे प्रमाणिक तरीके से उत्कृष्टता का प्रयोग करना।
पहले स्वार्थ इतना हावी था कि कई लोग अपने साथी के लिए भी किसी प्रकार की भावना को महसूस करने की क्षमता खो चुके थे। लेकिन अब जब हम अनिश्चितता के दौर में आ चुके हैं जहाँ सबसे आवश्यक और महंगा मानवता है और इसलिए लोग ऐसी वस्तु या उत्पाद खरीदते है जो किसी सामाजिक उद्देश्य को पूरा करती हो।
नेता के रूप में, मुझे लगता है कि हमें अपने व्यवसायों में मानवता लानी चाहिए और जीवन में सरलता को बनाए रखने के लिए एक चैनल बनाना चाहिए जो केवल बहुतायत मानसिकता के माध्यम से संभव है।
जयपुर में अपने व्यवसाय की नींव रखने के बाद, मैंने अच्छे बुनकरों की तलाश में गुजरात जाने का फैसला किया, जिससे मुझे आदिवासी समाज के बीच, बुनाई की कला को स्थापित करने का मौका मिला। यह मेरे जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक था।
आदिवासी समाज के लोग बेहद सरल थे लेकिन वह खुद तक ही सीमित थे। उनके साथ संबंध बनाना आसान नहीं था लेकिन मेरे धैर्य के व्यवहार ने उनको मेरा और मेरे परिजनों का हिस्सा बनाया।
इस दौरान मैंने अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखे, जिनमें से यह महत्वपूर्ण था कि मेरे लिए गलीचों का मतलब सिर्फ मुनाफा कमाना और खुद के बारे में कुछ बनाना नहीं था, बल्कि मेरा उद्देश्य बुनकरों और उनकी आगे की पीढ़ियों को सशक्त बनाना भी था। ।
समय के साथ साथ लोग बढ़ते गए। जब तक मैंने 10000 आदिवासियों को प्रशिक्षित किया, तब तक व्यवसाय में मेरा उद्देश्य भी स्पष्ट होता गया। नेताओं के रूप में हमें उन लोगों के लिए सीढ़ी बनने की जरूरत है जिनमे चढ़ाई करने का सामर्थ हैं। इस तरह आप मानवता का बीज बोने के साथ-साथ अपने ग्राहक को कुछ अलग अनुभव कराने में अवसर भी प्रदान करते हैं।
जब मेरे कारीगर ग्राहकों के लिए एक प्रामाणिक कला को गलीचे के रूप में पेश करते हैं, तो वह उनके भावनाओं के असंख्य गांठों में बुना होता है। जो ग्राहकों के लिए आशीर्वाद सामान है। जब आप बहुतायत से अपना समय देते हैं और उसमे आवश्यक संसाधन देकर सही लोगों को शामिल करते हैं तो आप अप्रत्यक्ष रूप से सामुदायिक जड़ों का निर्माण कर रहे होते हैं जो एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है।
इसलिए, याद रखें व्यवसाय को स्वार्थ लाभ प्राप्त करने का स्रोत नहीं बनाये। नेताओं के रूप में हमें बिखराव पर बहुतायत को बढ़ावा देना चाहिए तभी उद्देश्य में अर्थ निकलता है।
बहुतायत एक महासागर है, इसलिए इसे कुएं की तरह नहीं देखना चाहिए। उत्पादों में निवेश करने के बजाय लोगों में निवेश करें। यह आपके व्यवसाय को बदल देगा जिसका प्रयास सार्थक होगा।