अमूमन लोग भाग्य और किस्मत में विश्वास करते हैं। जब कुछ बुरा होता है, तो कहावतों को दोहराते है कि “जो लिखा हुआ है उसे कोई मिटा नहीं सकता सकता है।” और इस प्रकार की सोच भारत में विशेष रूप से प्रचलित है।
इस सोच के कारण बहुत से लोग मानते हैं कि वे अपने वर्तमान स्थिति से ऊपर नहीं उठ सकते, आगे नहीं बढ़ सकते खासकर तब जब बात उनके पेशे की आती है। लोग सफल होना चाहते हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन सवाल यह है की वह सफलता किस कीमत पर मिलती है?
हम एक ऐसे वातावरण में लंबे समय तक काम करते हैं जो हमारे लिए उपयुक्त नहीं है और जहाँ हमे ज्यादा अच्छा भी नहीं लग रहा होता है। यह हमारे काम का विस्तार करता है लेकिन हमारे जीवन को आदर्श दिशा नहीं बनाता। लोग पैसे कमा सकते हैं लेकिन क्या वे वास्तव में उससे खुश और संतुष्ट हैं?
यही कारण है कि जयपुर रग्स में हम एक ऐसी प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं जिसमें कर्मचारी अपने जुनून और ख़ुशी को खोजते हुए अपने नौकरी के विवरण को परिभाषित करने में सक्षम हो। यदि आप अपने काम से प्यार करते हैं, इसे लेकर भावुक हैं और इसे पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ करते हैं, तो आपको ऊँचाइयों तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।
मैंने वह रास्ता नहीं चुना शायद, जो मेरे लिए निर्धारित था। इसके विपरीत, मैंने वह करने का विकल्प चुना जो मैं करना चाहता था। मुझे पता था कि कुछ और भी मुझे खुश नहीं करेगा। और मुझे यह भी उम्मीद थी कि क़ालीन के व्यवसाय में देर से ही सही पर मेरे प्रतिभाशाली बुनकर जो ये सुंदर कालीनों को बनाते हैं उन्हें मैं ख़ुशी दे पाउंगा ।
मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस होता है कि हमारे पास जयपुर रग्स में कई कर्मचारी हैं जो अपने करियर के मार्ग को बदलने और उनके जुनून का पालन करने में सक्षम हैं। ताराचंद शुरू से ही संगठन के साथ रहे हैं। जबकि, वह तो मेरे ही गांव से हैं और शुरू शुरू में वह जब कॉलेज में थे तब उन्होंने पैसे कमाने के लिए काम शुरू किया था।
हालांकि, ताराचंद ने स्वयं में जल्द ही बुनाई और कारीगरों के प्रति अपने जुनून की खोज की। अड़तीस साल(38) में, उन्होंने लगभग 50 गाँवों की देखरेख करते हुए, 15,000 बुनकरों के साथ सफलतापूर्वक प्रशिक्षण किया है।
हरफूल, पिछले 14 साल से जयपुर रग्स फ़ाउंडेशन जो कंपनी की सेवा शाखा है उसका हिस्सा रहा है। हमारे संगठन के साथ उनका काम एक बुनकर के रूप में शुरू हुआ था और आज उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने एक गुणवत्ता सुपरवाइज़र और फिर एक शाखा प्रबंधक के रूप में भूमिका निभाई है। वर्तमान में, वह 42 गाँवों की देखभाल करते हैं और दूसरों को प्रबंधक बनने के लिए प्रशिक्षित करते रहते हैं।
व्यक्तिगत रूप से, मुझे अच्छा नहीं लगता की मेरे सपनो के लिए अन्य लोगों को अपने जुनून और अपनी आज़ादी के साथ समझौता करना पड़े ।
हमारी कंपनी में मेरे पसंदीदा उदाहरणों में से एक गई महिला कारीगर जिसने अपनी राह अपनाई है।
बिमला देवी, जिसने पति को खोने के बाद, खुद को पूरी तरह बुनाई के लिए समर्पित कर दिया। न केवल बिमला ने धीरज धरा, बल्कि इस काम को अपने मुश्किल समय का साथी बना लिया। उन्होंने अपनी प्रतिभा को समझा और यहां तक कि जयपुर रग्स आर्टिसन ओरिजिनल्स प्रोग्राम के तहत अपना खुद का गलीचा तैयार किया, जिसमें बुनकर अपने परिवेश का उपयोग करते हुए एक अलग तरह के कालीनों को प्रेरणा के रूप बनाते हैं।
आर्टिसन ओरिजिनल्स प्रोग्राम में अन्य प्रतिभागियों की तरह बिमला के पास कोई औपचारिक डिजाइन प्रशिक्षण नहीं है, फिर भी उनका काम सबसे आश्चर्यजनक और वास्तविक कामों में से एक है।
बिमला देवी का गलीचा इतना प्रभावशाली था कि उन्होंने प्रतिष्ठित जर्मन डिज़ाइन अवार्ड जीता और पहली बार अपने गाँव निकली और जर्मनी के लिए उड़ान भरी। जहाँ उन्होंने पुरस्कार स्वीकार किया जिसे लेकर वे बेहद भावुक हैं। और यह तभी संभव है जब आप अपने सपनों का पालन करते हैं।
प्यार, वफादारी और जुनून सफलता की कुंजी है। जब हम काम करते हैं तो हम सभी में एक मालिक होने की मानसिकता होनी चाहिए ये काम के प्रति स्वामित्व और जिम्मेदारी है जो जो हमारे अंदर का जूनून बरक़रार रखता है। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि सफलता के सही मायने आपके बैंक खाते का आकार नहीं है। यदि आप जो करना चाहते है अपने इक्षा से और उसके बारे में भावुक हैं, तो यह आपका काम मात्र नहीं है यह आपका जीवन है।