बहुत पहले से ही मैं अपने जीवन में एक उद्देश्य की तलाश में था। मेरा मानना है कि उद्देश्य वह है जो किसी को विकसित होने और आगे बढ़ने में सहायक होता है। व्यवसाय में भी बिना उद्देश्य के हम उस यात्री के सामान है जिसे यात्रा तो करनी है पर उसके पास उसके सफर का नक्शा ही नहीं है। व्यवसाय में उद्देश्य संगठन को आगे बढ़ाने में सहायक होता है और जो कभी स्थिर नहीं रहता ।
मेरे अनुभवों ने मुझे सिखाया कि सफलता केवल क्षणिक होती है और अक्सर यह हमें अति आत्मविश्वास का जोखिम दे जाती है। इसलिए आने वाली पीढ़ी के लिए मेरा अनुरोध है “सफलता के लिए लक्ष्य न रखें जब तक की आप अपने उद्देश्य को न जान लें”।
व्यापार में विचार समय-समय पर विकसित होते रहते हैं जिसमे ग्राहक की वरीयताओं का विस्तार हुआ है।
ग्राहक आज अनुभवों और परिणामों की तलाश में हैं। वे केवल अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए एक उत्पाद नहीं खरीद रहे हैं, बल्कि उनकी खरीदारी एक उच्च उद्देश्य, आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए भी होती है।
अपने उत्पाद को कुछ बड़े उद्देश्य से जोड़ते हुए उन्हें संतुष्टि मिलती है। इसलिए व्यवसाय में उद्देश्य ग्राहकों के साथ संबंध बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। और इस तरह वे ग्राहकों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उत्पाद को बाजार में ले आया जा रहा है।
मेरा मानना है कि व्यवसाय जीवन जीने का एक तरीका है न कि एक बैलेंस शीट जो मुनाफा देती है। जब हम व्यवसाय को जीने का एक तरीका बनाते हैं, तो उद्देश्य हमारे रास्ते का नेतृत्व करने में सहायक होता है।
जब मैंने जयपुर रग्स की शुरुआत की, तो मुझे व्यापार के वास्तविक उद्देश्य के बारे में कुछ खास यकीन नहीं था, लेकिन मुझे पता था कि मेरे लिए बुनाई एक कला है जो केवल मेरे बिलों का भुगतान करने और मुनाफा कमाने के लिए नहीं है। उन दिनों ने मुझे अपने उद्देश्य के करीब लाया जब मैंने ग्रामीण समुदाय और कारीगरों के साथ अधिक समय बिताया।
बुनाई और कारीगरों के प्रति मेरी करुणा आत्म-प्रेम से खिलती है इसमें कोई सहानुभूति नहीं है। उनके साथ मेरे पुराने दिनों में मैंने महसूस किया है कि वे सबसे अच्छे समस्या के समाधानकर्ता हैं जिनमे असीम धैर्य और रचनात्मकता है।
कुछ ऐसा है जो व्यवसाय को अपूर्ण कर रहा है और जिसके के माध्यम से संपूर्ण होने की पूरी संभावना है और वह तथ्य हैं प्यार, करुणा और उद्देश्य।
कारीगर और ग्राहक का जुड़ाव संपूर्णता का एक मुख्य करक है। जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को पूरा किया जा रहा हैं। मेरे लिए व्यवसाय इस पारिस्थितिकी तंत्र का व्यक्तिीकरण है जो सर्व-समावेशी और अपूर्ण है, यह पूर्ण है लेकिन इसका अनुकूलन जारी है।
उद्देश्य की शक्ति एक बांध के सामान है जिसमे सबसे गरीब हाथ सबसे अमीर से जुड़ता है । वह बांध जो परिवारों के पसीने से मजबूत मानवता की नीव पर बना यह बांध मुझे गांवों को दुनिया से जोड़ने में मदद करता है। जैसा मैंने पहले ही कहा था: ‘सफलता के लिए लक्ष्य न रखें जबतक की आप अपने उद्देश्य को न जान लें’।